Giridhar Kavirai ki Kundaliya दोहा और चौपाई का मिश्रण होती हैं। इसकी विशेषता है कि पहली दो पंक्तियाँ दोहा छंद में होती हैं और तीसरी पंक्ति, दूसरी पंक्ति के अंतिम शब्दों को दुहराकर शुरू होती है। यह शैली सुनने में आकर्षक और याद रखने में आसान होती है।
गिरिधर कविराय 18वीं शताब्दी के प्रसिद्ध हिंदी कवि थे, जो अपनी नैतिक शिक्षाओं से भरपूर “कुंडलियाँ” के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी रचनाओं में सामान्य जनजीवन की झलक, जीवन मूल्यों की सीख और व्यावहारिक बुद्धि देखने को मिलती है। इनकी भाषा सरल, प्रांजल और कहावतों जैसी होती थी, जिससे आम जनता आसानी से समझ सके।
Giridhar Kavirai ki Kundaliya Worksheet
गिरिधर कविराय की कुंडलियाँ आज भी नैतिक शिक्षा, जीवन व्यवहार और मानवता के मार्गदर्शन का स्रोत हैं। उनकी रचनाएँ हमें सरल शब्दों में गहरे जीवन दर्शन की सीख देती हैं। विद्यालयों, लोकगीतों और दैनिक व्यवहार में आज भी ये कुंडलियाँ सुनी और कही जाती हैं।
Giridhar ki Kundaliya Bhavarth
पहली कुंडली का सारांश: जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे कोई कार्य करता है, उसे बाद में पछताना पड़ता है। उसका कार्य बिगड़ जाता है और वह समाज में हँसी का पात्र बन जाता है। ऐसे व्यक्ति के मन में चिंता और बेचैनी बनी रहती है, और जीवन की खुशियाँ जैसे अच्छा भोजन, सम्मान, और मनोरंजन भी उसे अप्रिय लगने लगते हैं। कवि कहते हैं कि ऐसा किया गया कार्य मन में चुभता रहता है और उसका दुख आसानी से दूर नहीं होता।
दूसरी कुंडली का सारांश: कवि सलाह देते हैं कि बीती बातों को भूल जाना चाहिए और आने वाले कल की तैयारी करनी चाहिए। जो चीज़ सहजता से प्राप्त हो, उसी पर ध्यान देना उचित है। ऐसे कार्य करने चाहिए जिनसे कोई बुरा व्यक्ति हँसने का मौका न पाए और खुद के मन में अपराधबोध न रहे। कवि अंत में कहते हैं कि अगर हम अतीत को भुलाकर भविष्य पर ध्यान दें तो हमारा जीवन सुखमय हो सकता है।
मुख्य संदेश: इस पाठ के माध्यम से हमें यह शिक्षा मिलती है कि—
- कोई भी कार्य करने से पहले सोच-विचार ज़रूरी है।
- भूतकाल की गलतियों में उलझे रहने से कोई लाभ नहीं, इसलिए हमें भविष्य की ओर देखना चाहिए।
- साफ मन और आत्मविश्वास के साथ जीने से ही सच्चा सुख मिलता है।
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Giridhar ki Kundaliya Class 7 Question Answer
(क) कवि ने बिना सोच-विचार के किए कार्य के बारे में क्या चेतावनी दी है?
उत्तर. कवि ने कहा है कि बिना सोच-विचार के किया गया काम हमेशा नुकसानदायक होता है। ऐसा करने वाले को बाद में बहुत पछतावा होता है और लोग उसका मज़ाक भी उड़ाते हैं।
(ख) ‘बीती ताहि बिसारि दे’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर. इसका मतलब है कि जो कुछ भी बीत गया, उसे भूल जाना चाहिए और वर्तमान तथा भविष्य की चिंता करनी चाहिए ताकि जीवन में सुख और शांति बनी रहे।
(ग) राग-रंग किन्हें नहीं भाता है?
उत्तर. वह लोग जिन्हें समझदारी और नीति की शिक्षा मिली हो, उन्हें राग-रंग भटकाने वाले लगते हैं और वे ऐसी चीजों में नहीं फंसते।
(घ) जग में हँसी होने का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर. जब कोई बिना सोच-समझे काम करता है, तो लोग उसका मज़ाक उड़ाते हैं और उसकी हँसी उड़ती है, जिससे उसकी इज्जत कम हो जाती है।